भा.कृ.अ.प. - भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान | ICAR-Indian Agricultural Research Institute

कृषि मौसम सलाहकार

मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवाएं
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा
कृषि भौतिकी संभाग
भा. कृ. अनु. प. -भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्‍ली – 110012
(दिल्ली और इसके आस-पास के गाँवों के लिए) Website: www.iari.res.in


साल-31, क्रमांक:-69/2024-25/मंग.                                                                                                          समय: अपराह्न 2.30 बजे                                                                                                     दिनांक: 26-11-2024

बीते सप्ताह का मौसम (20 नवम्बर से 26 नवम्बर, 2024)

सप्ताह के दौरान सुबह के समय आसमान में हल्की धुंध रही। दिन का अधिकतम तापमान 24.9 से 30.0 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 26.6 डिग्री सेल्सियस) तथा न्यूनतम तापमान 8.7 से 11.8 डिग्री सेल्सियस (साप्ताहिक सामान्य 9.8 डिग्री सेल्सियस) रहा। इस दौरान पूर्वाह्न 7.21 को सापेक्षिक आर्द्रता 84 से 91 तथा दोपहर बाद अपराह्न 2.21 को 43 से 56 प्रतिशत दर्ज की गई। सप्ताह के दौरान दिन में औसत 4.3 घंटे प्रतिदिन (साप्ताहिक सामान्य 5.7 घंटे) धूप खिली रही। हवा की औसत गति 1.7 कि.मी प्रतिघंटा (साप्ताहिक सामान्य 2.2 कि.मी प्रतिघंटा) तथा वाष्पीकरण की औसत दर 2.2 मि.मी (साप्ताहिक सामान्य 2.7 मि.मी) प्रतिदिन रही। सप्ताह के दौरान पूर्वाह्न को हवा शांत रही तथा अपराह्न को भिन्न-भिन्न दिशाओं से रही।


भारत मौसम विज्ञान विभाग, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र, लोदी रोड़, नई दिल्ली से प्राप्त मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान
मौसमी तत्व/दिनांक 2024-11-272024-11-282024-11-292024-11-302024-12-01
वर्षा (मि.मी.) 0.00.00.00.00.0
अधिकतम तापमान {°सेल्सियस}2726262627
न्यूनतम तापमान {°सेल्सियस}1110101011
बादलों की स्थिति (ओक्टा)00000
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) अधिकतम9596969594
सापेक्षिक आर्द्रता(प्रतिशत) न्यूनतम5155555252
हवा की गति (कि.मी/घंटा)0806060808
हवा की दिशाउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पूर्वउत्तर-उत्तर-पूर्वउत्तर-उत्तर-पश्चिमउत्तर-उत्तर-पश्चिम
साप्ताहिक संचयी वर्षा (मि.मी.)
0.0 mm
विशेष मौसम
सुबह के समय मध्यम से घना कोहरा रहने की संभावना है।

साप्ताहिक मौसम पर आधारित कृषि सम्बंधी सलाह 01 दिसम्बर, 2024 तक के लिए

कृषि परामर्श सेवाओं, कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को निम्न कृषि कार्य करने की सलाह दी जाती है।

  • किसानों को सलाह है कि वे मौसम को ध्यान में रखते हुए, गेंहू की बुवाई हेतू तैयार खेतों में पलेवा तथा उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करें। पलेवे के बाद यदि खेत में ओट आ गई हो तो उसमें गेहूँ की बुवाई कर सकते है। उन्नत प्रजातियाँ- सिंचित परिस्थिति- (एच. डी. 3385), (एच. डी. 3386), (एच. डी. 3298), (एच. डी. 2967), (एच. डी. 3086), (एच. डी. सी.एस. डब्लू. 18), (ड़ी.बी.डब्लू. 370), (ड़ी.बी.डब्लू. 371), (ड़ी.बी.डब्लू. 372), (ड़ी.बी.डब्लू. 327)। बीज की मात्रा 100 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर। जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो तो क्लोरपाईरिफाँस 20 ईसी @ 5 लीटर प्रति हैक्टर की दर से पलेवा के साथ दें। नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 150, 60 व 40 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर होनी चाहिये।
  • समय पर बोई गई सरसों की फ़सल में बगराडा कीट (पेटेंड बग) की निरंतर निगरानी करते रहें तथा फ़सल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें।
  • तापमान को ध्यान में रखते हुए मटर की बुवाई करें। उन्नत किस्में– ए. पी.-3, बोनविले, लिंकन। बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम @ 2.0 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से मिलाकर उपचार करें उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगायें। गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर ले और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें तथा अगले दिन बुवाई करें।
  • आलू के पौधों की ऊँचाई यदि 15-22 से.मी हो जाए तब उनमें मिट्टी चढ़ाने का कार्य जरूरी है अथवा बुवाई के 30-35 दिन बाद मिट्टी चढ़ाई का कार्य सम्पन्न करें।
  • किसान गाजर की यूरोपियन किस्मों  जैसे नेंटीस, पूसा यमदागिनी, मूली की यूरोपियन किस्मों जैसे हिल क्वीन, जापानी व्हाईट, पूसा हिमानी, चुंकदर की किस्म क्रिमसन ग्लोब तथा शलगम की पी. टी. डब्लू. जी. आदि की बुवाई इस समय कर सकते है। 
  • किसान इस समय पत्तेदार सब्जियों में सरसों साग- पूसा साग-1; पालक- आल ग्रीन,पूसा भारती; बथुआ- पूसा बथुआ-1; मेथी-पूसा कसुरी; तथा धनिया- पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई करें।
  • वर्तमान मौसम प्याज की बुवाई के लिए अनुकूल है। बीज दर– 10 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर। बुवाई से पहले बीजों को केप्टान@ 2.5 ग्रा. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार अवश्य करें।
  • वर्तमान तापमान स्नोबोल किस्म की फूलगोभी, सलाद, बन्दगोभी और ब्रोकली की पौधशाला बनाने तथा तैयार पौध की रोपाई के लिए अनुकूल है। ब्रोकली की उन्नत किस्में – पालम समृद्धि, पालम कचंन (सामान्य किस्में), ऐश्वर्या, पेकमेन (संकर किस्में)।
  • इस सप्ताह किसान सब्जियों की निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को निकाले। 15 से 25 दिन की सब्जियों में नत्रजन की बची हुई मात्रा का छिड़काव करें।
  • किसानों को सलाह है कि खरीफ फ़सलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को ना जलाऐ। क्योकि इससे वातावरण में प्रदूषण ज़्यादा होता है, जिससे स्वास्थय सम्बन्धी बीमारियों की संभावना बढ जाती है। इससे उत्पन्न धुंध के कारण सूर्य की किरणे फसलों तक कम पहुचती है, जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है जिससे भोजन बनाने में कमी आती है इस कारण फसलों की उत्पादकता व गुणवत्ता प्रभावित होती है। किसानों को सलाह है कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें इससे मृदा की उर्वकता बढ़ती है, साथ ही यह पलवार का भी काम करती है। जिससे मृदा से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होता है। नमी  मृदा में संरक्षित रहती है। धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग @ 4 कैप्सूल/हेक्टेयर किया जा सकता है।

सलाहकार समिति के वैज्ञानिक

डा. अनन्ता वशिष्ठ (नोड़ल अधिकारी, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. सुभाष नटराज (अध्यक्ष, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. प्र. कृष्णन (प्राध्यापक, कृषि भौतिकी संभाग)     

डा. देब कुमार दास (प्रधान वैज्ञानिक, कृषि भौतिकी संभाग)

डा. बी. एस. तोमर (अध्यक्ष, सब्जी विज्ञान संभाग)

डा. सचिन सुरेश सुरोशे (परियोजना समन्वयक, मधुमक्खी पर अखिल भारतीय समन्वित परियोजना)

डा. दिनेश कुमार (प्रधान वैज्ञानिक, सस्य विज्ञान संभाग)

डा. पी सिन्हा (प्रधान वैज्ञानिक, पादप रोग संभाग)

डा. ए. के. सिंह (प्रधान वैज्ञानिक व इंचार्ज, केटेट)


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